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Monday, December 20, 2010

sampadkiye

 माननीय,
     जय मॉ भारती जय स्वदेशी 
स्वदेशी मीमांसा का प्रमुख उद्देश्य विकास की अंधी दौड़ का दिशा  परिवर्तन कर एक प्राकृतिक वैज्ञानिक सोच एवं स्वदेशी मैनेजमेंट (स्थानीय स्वदेशी स्वावलंबन व्यवस्था) के साथ देशी  को अपनी परस्पर पोषण आधारित समृद्ध संस्कृति की ओर मोड़ना है। 
अनेक आजादी के वीर सपूतों तथा ऋषि-मुनियों के अनुभवी सिद्ध विचारों एवं सपनों को मूर्त रूप देने के लिये अखिल भारतीय स्वदेशी संघ ने सर्वप्रथम मध्यप्रदेश स्वदेशी आदर्श  प्रदेश बनाने की घोषणा विगत विश्व अहिंसा दिवस गॉधी-शस्त्री जयंती के अवसर पर 3 व 4 अक्टूबर 2009 को भोपाल में आयोजित राष्ट्रीय स्वदेशी कार्यशाला ”आ लौट चले स्वदेशी की ओर“ के अवसर पर की है। इसी तर्ज पर अन्य प्रदेशों को भी स्वदेशी आदर्श प्रदेश बनाने की योजना है। शनेः शनैः सम्पूर्ण भारत देश को स्वदेशीमय करना है क्योंकि यह सर्वविदित है कि स्वदेशी की स्थापना के बिना एक मजबूत भारत की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। इस घोषणा को मूर्तरूप देने के लिये देश एवं प्रदेश के आध्यात्मिक एवं स्वयं सेवी संगठनों/संस्थाओं,  राजनीतिक दलों, सरकारों, शसन-प्रशासन, पत्रकार, एवं जनता जनार्दन को एक जुट कर सामूहिक रूप से ददत्रेश में माहौल बनाने एवं ठोस कार्ययोजना बनाने के लिये यह अभियान प्रेरणा स्त्रोत स्वदेशी संत श्री राजेश पोरवाल जी के सफल नेतृत्व में योजनाबद्ध एवं समयबद्धता के साथ तेजी से चलाया जा रहा है। जिसकी चाहूँ ओर प्रशंसा एवं सहयोग मिल रहा है।
तब से अब तक स्वदेशी एवं स्वावलंबन पर आधारित कईं संगठनात्मक गतिविधियॉ, कार्यशालाएं, रैलियॉ एवं सत्याग्रहों का आयोजन किया गया है तथा सरकारी स्तर पर भी कईं विभागों में स्वदेशी एवं स्वावलंब पर आधारित  नीतियॉ बनवाने में सहयोग, वातावरण निर्माण, सलाह एवं मार्गदर्शन संबंधित विभागों के मंत्रियों एवं अधिकारियों का किया गया। परिणामस्वरूप कईं विभागों में स्वदेशी स्वावलंबन पर आधारित नीतियॉ बनाना एवं क्रियान्वयन की प्रक्रिया व्यापक पैमाने पर प्रारंभ भी हो चुकी है। लेकिन देश के कर्णधार कईं मंत्रियों एवं अधिकारियों में अभी भी स्वदेशी स्वावलंबन के प्रति समझ कम होने से गंभीरता एवं संवेदनशीलता की बेहद कमी है। इन परिस्थितियों को देखते हुवे राष्ट्रीय मासिक पत्रिका स्वदेशी मीमांसा का प्रकाषन अखिल भारतीय स्वदेशी संघ का मुख्यालय एवं देश का दिल मध्यप्रदेश की खुबसूरत राजधानी भोपाल से किया जा रहा हैं। स्वदेशी मीमांसा का उद्देश्य राष्ट्रीय चरित्र निर्माण करते हुवे संगठनात्मक     गतिविधियों को एकरूपता में बांधने तथा देश एवं विदेश में सरकारी एवं गैरसरकारी संगठनों द्वारा उक्त उद्देश्य की प्राप्ति के लिये चल रही स्वदेशी एवं स्वावलंबन योजनाओं एवं रचनात्मक सृजनात्मक दैनिक गतिविधियों को शनैः-शनैः देश एवं संपूर्ण विश्व के लाखों राजनेताओं, अधिकारियों, पत्रकारों एवं स्वयं सेवी संगठनों तथा जन जन में नियमित रूप से पहुंचाकर उनका जो जहां है वहीं सतत् शिक्षण, प्रशिक्षण तथा मार्गदर्शन करना है।
पश्चिम के कथित विकास की नकल के चक्कर में भारत एवं संपूर्ण विश्व कर्ज, भ्रष्टाचार, प्रकृति, मानव एवं प्राणी मात्र की तबाही के भयावह जंजाल में फंस गया है। अब तो आधुनिक विकास एवं उदारीकरण का आदर्श बने अमेरिका एवं तमाम विकसित अमीर देशों की अर्थव्यवस्थाएं अप्रत्याशित से लड़खड़ा रही है, उनके द्वारा गढ़ा गया अप्राकृतिक विश्व्यापी दारीकरण का मॉडल के  दुष्परिणाम तेजी से निकल रहे हैं । उदारीकरण अधोगति से पूर्णरूपेण फैल हो रहा है, यह सर्वविदित है। विश्व के कथित अर्थशस्त्री हतप्रभ होकर मात्र दर्शनार्थी बन गये हैं, उनके तमाम अनुमान एवं गणित पूरी तरह ताष के महल साबित हुए है। तो हम उस विनाशकारी विदे षी मॉडल को क्यों अपनाएं ? महात्मा गांधी ने कहा है कि ‘‘मेरे घर के खिड़की दरवाजे हमेशा खुले रहें, लेकिन मैं यह कदापि पसंद नहीं करूंगा कि कोई आंधी मेरा घर ही उड़ा ले जाये।’’            
 इस पत्रिका का उद्देश्य निम्न संदर्भों में किसानों, युवाओं, महिलाओं एवं बच्चों, व्यापारियों एवं उद्योगपतियों सहित जन- जन को को स्वावलंबी बनाकर स्वदेषी स्वावलंबन पर आधारित जैविक कृषि, गोसंवर्द्धन, पशुधन, जलसंरक्षण, जैव प्रौद्योगिकी एवं जैव विविधता, पर्यावरण, स्वावलंबी उर्जा, भारतीय उद्योग, एवं लघुकुटीर उद्योग, लघुवनोउपज, स्वास्थ्य एवं शिक्षा, महिला एवं बालकल्याण, पर्यटन, रोजगार, युवा एवं खेल, संस्कृति, इत्यादि अन्य से संबंधित षासन की नीतियों का मार्गदर्शन कर योजनाओं की जानकारियॉ एक आदर्श एवं टिकाऊ स्थायी मॉडल के रूप में उपलब्ध करवा कर प्रतियोगिता उत्पन्न करना है। जिससे हमारा लोकतंत्र सतत् और अधिक सफल, सजग एवं जागरूक बनकर  भ्रष्टाचार मुक्त कर मजबूत बन सकें तभी स्वतंत्रता का सही अर्थ जन सामान्य में व्याप्त हो सकेगा।    
                              राजेश शर्मा
                            प्रधान संपादक